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________________ ] 5 Karakanda enters Dantipur with pomp and ceremony. ध्रुवकं-पुणु मंतिहिं भाणयेउ णवउ णिउ तुहुं गयवरखंधि समारुहहि । चलु चलु सुंदर लहु वलहि दंतीपुरि रजहो भरु वहहि ॥ १॥ णिज्झरझरंतमयगिलगंडे करकंडु चडिउ ता करिपयंडे। कवि लीला मणहर अवहेह णं सुरवइ अइरावरं सहेइ। संचल्लिउ सो सहुं परवरहिं विजिजमाणु चलचामरेहिं । लीलाविलाससुहसामिणीहि गाइजमाणु वरकामिणीहिं । कलयंठिरावकयहीलणेहिं संथुन्वमाणु वंदीजणेहिं । गुणपउररायतग्गयमणेहिं सेविजमाणु णायरजणेहिं। परलोयकज्जे उजुवगईहिं सलहिजमाणु सजणमईहिं । अवरेहिं वि लोयहिं कलियमाणु गउ सुंदरु पुरवरे जणसमाणु। घत्ता- सो पुरवरणारिहिं गुणणिलउ पइसंतउ दिट्ठउ णयरे कह । णं दसरहणंदणुं तेयणिहि उज्झहिं सुरणारीहिं जहँ ॥ १॥ 10 The flutter amongst the damsels of the town at his entry. तहिं पुरवरि खुहियउ रमणियाउ झाणट्ठियमुणिमणदमाणियाउ । कवि रहसई तरलिय चलिय णारि विहडफ्फड संठिय का वि वारि। क वि धावइ णवणिवणेहलुद्ध परिहाणु ण गलियउ गणह मुद्ध। कवि कजलु बहलउ अहरे देह णयणुल्लएं लक्खारसु करे। णिग्गंथवित्ति क वि अणुसरेइ विवरीउ डिंभु कवि कमिहि ले। 5 1. १ S भणिउ. २ D JN भामिणोहिं. ३ S किह. ४ S जिह. 2. १ चारि. २ D बहुलउ. - २३ - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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