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कणयामरविरइयउ
[9.24.1
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Ascetic duties.
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घरधम्मु णरेसर एम होइ
इउ भणहिं चिराणा परमजोइ । रिसिवयई पंच णिसुणेहि राय खलु एक्कु ण पइसइ जेत्थु माय । तसथावरजीवहं करइ रक्ख सो भुंजइ भोय असंखलक्ख । अणुरायएं अलिय ण कह भणेइ सो वयणई सुरगुरु आहणेह । जो परधणु कह व ण अवहरेइ सो सुरवइ विवणम्मणु करेइ। जो णवविहु कीरइ बंभचेरु
सो पावइ सिवसुहु ण?मेरु । जो दुविहु परिग्गहु परिहरेइ संसारमहण्णउ सो तरेइ । मूलगुणई जो रवइ धरेइ
आलिंगणु तहो सिववहु करेइ । उत्तरगुण जेत्तिय मुणिवराह णिव पारु ण पावइ को वि ताहं । बिहिं भेयहिं जं थिउ सवणरम्मु तं गरवइ मई तुह कहिउ धम्मु। घत्ता-एयाइं वयइं पंच वि णिवह परिपालइ सत्तिएं जो वि णरु ।
कणयामरसिवमाणिणि वरहि सो होइ णिरुत्तउ ताहे वरु ॥ २४ ॥
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इय करकंडमहारायचरिए मुणिकणयामरविरइए भन्मयणकग्णावयंसे पंचकल्लाणविहाणकप्पताफलसंपत्ते करकंडधम्मायण्णणो णाम णवमो परिच्छेउ समत्तो ।
॥ संधि ॥९॥
24. १ MSS णरु वइ.
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