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५ 23. 10. J
करकंsatta
जो हरइ ण परधणु णरु कथा वि दूराउ विवजह परतिया वि । धत्ता- जो सत्त वि वसणई परिहरइ विसतस्वरु जह सव्वायर | सो सोक्ख निरंतर अणुहवइ ण वि खजइ दुक्खणिमायरई ।
वहीणु ण णरवर महइ को वि विहि भेयहिं ताई समासियाई अणुवयई सुधूलई अक्खियाई तसजीवहं रक्खा जो करेइ rs बोल्ल धूली अलियवाणि उ चोरिएं गिण्इ दव्बु जो वि जो णारि पराई गणइ माय परिमाणु परिग्गहे जो करेइ
धत्ता
Religious observances for a householder. वयवंत रंकु वि पुज्नु होइ । घरवयद्दं जईसरसंठियाई ।
असुहुमई ताई महत्र्वयाई । सो माणउ पढमउ वड धरेह । सो बीउ अणुव धरइ णाणि । सो पाल अणुव तइयओ वि ।
सो अणुव तुरियउ धरइ राय । सो णरवइ पंचमु वउ धरेइ ।
णिसिभोयणें सहुँ दिसिगमविरमु पसुपासु जु बंधणु परिहरइ । भोई उपभोयई तणु करिवि सो सुरहरि लीलई रद्द करइ ||२२||
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समभावई जीवई जो णिएइ जो अट्टरउद्दई परिहरेइ उववासु करइ मासहो चयारि जो णरवरु चउविहु देव दाणु वाहीणहं ओसहु जो करेइ जो भोयणवेलहे पत्तदाणु कारुण्णई दीणहं दुत्थियाहं जो पच्छिमयालि सलेहणेण
229] सिड्s.
Householder's Dharma continues.
धत्ता - जो एयई अणुवयगुणवयई सिक्खावय पालइ दुद्धरई । सो सासयवहुर्मुहलंपडउ पावेसइ सुक्खपरंपरहूं ॥ २३ ॥
23. N सुद्द.
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परिभावइ संजमु जो हिएई । सो रवरु सामाइड धरेछ । दो अट्ठमि चउदसि दुक्खहारि । दय जीवहं देइ जो अवरु णाणु । सो सग्गु अलीढई अणुसरेइ । अणुराएं दिष्णउ खाणु पाणु । जें भोयणु दिण्णउ भुक्खियाहं । सुहि पाण विसज्जर थिरमणेण ।
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