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तं ताहिं मिणियमणि परिंगणीउ । सो होसइ अम्हहं तणउ कंतु ।
सो पड एवि हउं एत्थु भय ।
धत्ता - जा पडु विलएविणु णियकरदं पुणु भाविउ रूउ मणोहरउ | ता मुच्लएँ रुंभिउ हियउ महो हे खेयर किं पिण संभरउ ॥ १५ ॥
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कर कंडचरिउ
त्रिरु चारणमुणिणा जं भणीउ रविभम जो परिणेइ संतु सा तुरिउ लिहाविय पडे सुराय
Naravahanadatta concludes his story by saying that he went and married all those girls.
सहियाण मज्झे णिम्मलमईएं ता जाइवि गरुवई उच्छवेण arasएं सहुं चणमई वि अवराई वि पंचसयाई तेत्यु वेयर तेण जा हरिवि णीय संसाहियाइं खेयरसयाई संसिद्धी मेइणि जलहि जाम आणाविउ जणवइ ताउ देव
५N मुच्छिउ.
तहिं णीयउ हउं लीलावईएं । रविन्भम परिणिय मई णिवेण । वैवाहिय पुणु लीलावई वि । वैवाहियाई थिउ मयणु जेत्यु | महो मिलिय धरिणि सुमनोहरीय । उपाइयाई अरिमणे भयाई । जहिं वसहिं णिरंतर विउल गाम । के पट्टबंधु जणविहियसेव ।
इय करकंडमहारायचरिए मुणिकणयामरविरइए भव्वयणकण्णावयंसे पंचकलाणविहाण कप्पत६फलसंपत्ते वाहणदत्त - अक्खाण - आयष्णणो णाम छट्ठो परिच्छेउ समत्तो ॥ ॥ संधि ॥ ६ ॥
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धत्ता- इउ वइयरु अक्खिर खगवईहे परिपुच्छिउ परं हउं जं सयलु | कणयामरदा जणु थविउ परिवंदिउ मई जिणपयजुयलु ॥ १६ ॥ 10
16. Jताव J क्रिउ. ३ JS खगवय हो.
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