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________________ 5 10 6. 13. 4.1 करकंडचरिउ नहि खेयरु हृयउ पउमएर नहीं तणउ तणउ पहु मयणवउ । उत्तरवेयड्डहो गुणणिकेउ मणवेयहो णंदणु पवणवेउ। तहो णेहएं तहिं किर जाइ जाव ता तुम्हई दिट्ठउ एण ताव । परिपुच्छिवि सो कुलु महो महंतु मणु मेरउ हलु सा लहंतु । इउ कहिवि ताहे गय खयर बे वि मयणामा आयउ पुणु वलेवि । तहो लज्जएं ण वि महो वयणि वाणि बोलंति वि ते सहुं वहां काणि । ता सहियएं भणिउ तुरंतियाएं भो सुंदर णिवसहि सहुं पियाएं। पत्ता-णियकंठउ लेविणु णियकरई मुत्ताहलमाला सुंदरिय । जा घल्लइ कंठई महोतणई ता कोकहुं आइय सहयरिय ॥ ११ ॥ 12 How her lover was turned in to a parrot by the curse of an ascetic girl whose modesty hc outraged. ता केउमइएं हां घरहो णीय विवणम्मण घरे दुक्खेण थीय । पुणु वलिवि आय हउँ पंथ जाव। मयणामरु मई ण वि दिट्ट ताव । तहो तणउ विरहु विजाहरीएं परिअक्खिउ काएं वि दुहहरीएं। सुविरुद्धवयणु पुणु पुणु लवंतु उद्धाणणु विहलंघलु भमंतु। विरहाणलताविउ पई सरंतु रिसिकपणहे लग्गउ सो तुरंतु। ता तुरिउ विलक्खी हूइयाएं मयणामरु सूयर कियर ताएं। तहे सहियएं धम्म तरलियाएं सा भणिय तुरांतय करुणियाएं । तुहुं देवि अणुग्गहु करहि तेव णियभजहे सहुं कीलइ जेव। घत्ता-ता भणियउ ताएं महासइएं णरवाहणदत्तई जं दिवसि । परिणेवड रूउ मणोहरउ रइविभमणामउ लद्धजसि ॥ १२॥ 5 10 13 Avother woman arrives there with a portrait. हे सहियरे सुंदरु ललियदेहु णरु होसइ तइयहुं पुणु वि एहु । हे सुंदर इउ महो ताई कहिउ इउ मण्णिवि मई वणवासु गहिउ। आयण्णिवि तं हर थियउ जाव लीलावइ आइय तेत्यु ताव । तहे करयले णिहियउ पडु विचिचु पेच्छंतहं मोहइ जणहं चित्तु । 11. १ DN णियकुलु. -- ५९ - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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