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सुलतान महम्मद.]
[ ५७ गुरुजीना पादपीठमां किंकरोनी जेम आळोटे छे. प्रातीच्छकोनी जेम गुरुजीना वचनने स्वीकारे छे. आ लोक अने परलोकना कार्यना अभिलाषी परतीथिको(अन्यधर्मीओ) गुरुजीना दर्शन माटे उत्सुक थइने निरंतर वसतिना द्वारदेशने सेवे छे. राजानी अभ्यर्थनाथी गुरुजी हमेशां राज-सभामां जाय
छे. बंदि-वर्गने मुक्त करावे छे. महासुलताननी सभा- पुरुषोना चरितने आचरता, सुचारित्रने
मां सूरिजीनो पाळनारा सूरिजी, जिनवचनने अनुसरतां वचन-प्रभाव युक्तियुक्त वचनोवडे निरंतर राजा
(सुलतान)ना मनमां मोटुं कुतूहल उपजावे छे. पगले पगले प्रभावना प्रवर्ते छे. गंगा-जळ जेवा स्वच्छ चित्तवाळा सूरिजी पोतानी यश-चंद्रिकावडे दिशाओना अंतराल(मध्यभाग)ने धवल-उज्ज्वल करे छे. पोतानां वचनामृतोवडे जीवलोकने उज्जीवित करे छे.स्वदर्शनी अने परदर्शनीओ समग्र व्यापारोमा गुरुजीनी आज्ञाने शिर पर स्थापी वहन करे छे. युग-प्रधान आचार्य(जिनप्रभसूरि). अनन्यसाधारण शैलीवडे स्व-पर-सिद्धान्तनुं व्याख्यान करे छे.. आवा प्रकारना प्रकट रीते अनुभवाता, नित्य प्रवर्तता
___ प्रभावनाना प्रकों, अल्पमतियोवडे केटउपसंहार लाक कही शकाय ? मात्र ‘आ सूरिवर
करोडो वर्ष जीवता रहो अने लांबा वखत
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