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आत्मवत् सर्वभूतेषु ।
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पर्युषणपर्व के दिनों में अन्तगड (अन्तकृत) सूत्र का व्याख्या न किया जाता है । जिस उद्देश्य से गणधरों ने इसकी रचनाकी है, उसी उद्देश्य से इसका व्याख्यान किया जाता है। जिन महापुरुषों ने अपने अनादि कालीन कर्मों का अन्त किया है, जो समस्त विघ्नों का नाश करके निर्विघ्न हो गये हैं, उन महापुरुषों के चरित का इसे सूत्र में वर्णन किया गया है, अतएव इस सूत्र को 'अन्तगड' कहते हैं । इसमें दस अध्याय हैं और यह आठवाँ अंग है इस कारण इस 'दशांग' कहते हैं। इस प्रकार इस सूत्र का पूरा नाम 'अन्तकृत दशांग' है। पर्युषण पर्व का समय कल्याणकारी है, अतएव पर्युषण के पाठ दिनों में यह समझाया जाता है। यों तो इसके सम्बन्ध में कई विचार हैं, परन्तु इसे आठ दिनों में पूर्ण कर देने की परम्परा प्रसिद्ध है और व्यवहार में भी आ रही है। बड़े-बड़ महापुरुष इस परम्परा का पालन करते आये हैं और यह
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