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बीकानेर के व्याख्यान ]
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गुरु की बात सुनकर माता को कुछ जोर अँधा । उसने कहा- अब सुन ले कि मेरा तुझ पर उपकार है या नहीं !' इसके बाद उसने गुरुजी से कहा - महाराज, यह मुझ से कहता है कि तू ने पेट में रक्खा है तो उसका भाड़ा ले ले | इस विषय में शास्त्र क्या कहता है ?
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प्रश्न सुनकर गुरुजी ने शास्त्र निकाल कर बतलाया । उसमें लिखा था कि गौतम स्वामी के प्रश्न करने पर भगवान् ने उत्तर दिया कि इस शरीर में तीन अंग माता के तीन अंग पिता के और शेष अंग दोनों के हैं। मांस, रक्त और मस्तक माता के हैं, हाड़, मज्जा और रोम पिता के हैं, शेष भाग माता और पिता दोनों के सम्मिलित हैं ।
माता ने कहा- बेटा ! तेरे शरीर का रक्त और मांस मेरा है । हमारी चीजें हमें दे दे और इतने दिन इनसे काम लेने का भाड़ा भी साथ ही चुकता कर दे ।
यह सब सुन कर बेटे की आँखें खुलीं । उसे माता और पिता के उपकारों का खयाल आया तो उनके प्रति प्रबल भक्ति हुई । वह पश्चात्ताप करके कहने लगा- मैं कुचाल चल रहा था । कुसंगति के प्रभाव से मेरी बुद्धि मलीन हो गई थी । इसके बाद वह गुरुजी के चरणों में गिर पड़ा । कहने लगा - माता-पिता का उपकार तो मैं समझ गया पर उस उपकार को समझाने वाले का उपकार समझ सकना कठिन है ! आपके अनुग्रह से मैं माता-पिता का उपकार स्वमझ
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