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________________ ५८ ] [ जवाहर किरणावली कुमारपाल - जी हाँ । हेम० - यह खादी मेरे D1 संयम को बढ़ाने वाली है । श्राविका बहिन ने बड़े प्रेम से मुझे भेट की है। ऐसी स्थिति में तुम्हें लज्जित होने की क्या आवश्यकता है ? लज्जा तो राजा को तब आनी चाहिए जब प्रजा भूखी मरती हो और राजा भोगविलास में डूबा रहता हो। उनकी दुरवस्था और अपने आमोदप्रमोद को देखकर लज्जित होना चाहिए, खादी से शर्मिंदा क्यों होता है ? 1 आचार्य हेमचन्द्र के इस कथन का राजा कुमारपाल पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसने थोड़े ही दिनों में अपने राज्य में सुधार कर लिया । राजा के सुधारकार्य को देखकर श्राचार्य हेमचन्द्र ने उस श्राविका को धन्यवाद देकर कहा - यह उस बहिन के प्रेम का ही प्रताप है । उसके दिये कपड़े के निमित्त से जो सुधार हो पाया वह मेरे उपदेश से भी होना कठिन था । महारानी काली जब खादी के कपड़े पहनकर देश में घूमी होंगी तब लोगों में कितनी जागृति हुई होगी ? जनता के हृदय में कैसी भावना का उदय हुआ होगा ? अगर आप काली की - पूजा करना चाहते हैं तो उनके त्याग को हृदय में स्थान दो । काली के महान त्याग को हृदय में स्थान दोगे तो काली भी हृदय में आ जाएगी और हृदय भी पवित्र बन जाएगा ! महारानी काली को मानने वाली विधवा बहिन अपने शरीर पर गहने नहीं रखेगी। दीक्षा ले लेना दूसरी बात है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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