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[जवाहर-किरणावली
सकतीं, जिन्होंने हमें महारानी बनाया है । इन चकाचौंध करने वाले गहनों और कपड़ों के कारण वे हमारे पास नहीं आ सकतीं नज़दीक आते डरती हैं ' ____ अगर कोई स्त्री फटे-पुराने कपड़े पहनकर विसी महारानी से मिलने जाना चाहे तो क्या पहरेदार उसे भीतर घुसने देंगे ? नहीं । अगर धक्के मार कर न भगा देंगे तो डाटफटकार बताये बिना भी नहीं रहेंगे। मगर रानी से पूछा जाय कि तुमने जो वस्तु और आभूषण धारण किये हैं सो वे पाये कहाँ से हैं ? वे गरीबों के पसीने से ही बने हैं या राजा की तिजोरी में उगे हैं ? रानी इस प्रश्न का क्या उत्तर देगी ? ___ यह बात सिर्फ रानी-महारानी कोही लागू नहीं होती। बढ़िया और कीमती गहने-कपड़े पहनने वाला, फिर वह कोई भी क्यों न हो, बढ़िया गहनों-कपड़ों वालों को ही चाहता है । उसे विना जेवर का गरीब प्यारा नहीं लगता । यही विकार है । बढ़िया वस्त्रों में और आभूषणों में अगर विकार न हो तो भगवान महावीर को शायद ही सादा वेष चलाने की आवश्यकता पड़ती। जिसकी मैत्री आवना विकसित हो गई है, उसी के हृदय में इस प्रकार की सद्भावनाएँ जागृत होती हैं और वही वस्त्र-आभूषण का त्याग करता है।
महारांनी काली के हृदय में मित्रभावना विकसित हुई। अतएव उन्होंने विचार किया-मुझे अपनी सब बहिनों से समान रूप से मिलना चाहिए । मेरे और उनके बीच में जो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com