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________________ ३.] [जवाहर-किरणावली करने से पहले होने वाली उषा का चमत्कार आपने देग्व लिया ! अब शांतिनाथ-सूर्य के उदय होने का वृतान्त कहना है। मगर समय कम होने के कारण थोड़े ही शब्दों में कहता हूँ। शांतिनाथ भगवान् को गर्भ में रहने या जन्म धारण करने के कारण आप वंदना नहीं करते हैं। वे इस कारण वन्दनीय हैं कि उन्होंने दीक्षा धारण करके, केवल शान प्राप्त किया और अन्त में मुक्ति प्राप्त की। भगवान् शांतिनाथ ने लम्बे काल तक संसार में रहकर अद्वितीय काम कर दिखाया। उन्होंने स्वयं राज्य करके राज्य करने का आदर्श जनता के समक्ष उपस्थित किया। गज्य करके उन्होंने अहंकार नहीं सिखलाया। उनमें ऐसी-ऐसी अलौकिक शक्तियों थीं कि जिनकी कल्पना भी हमारे हृदय में आश्चर्य उत्पन्न करती है। लेकिन उन्होंने ऐसी शक्तियों का कभी प्रयोग नहीं किया। माता अपने बालक को कामधेनु का दूध पिलाकर तृप्त कर सकती हो तो भी उसे अपना दूध पिलाने में जिस सुख का अनुभव होता है, कामधेनु का दूध पिलाने में वह सुख कहाँ ? इसी प्रकार शांतिनाथ शक्ति का प्रयोग कर सकते थे परन्तु उन्हें शांति और प्रेम से काम लेने में ही आनन्द प्राता था। शांतिनाथ भगवान् ने संसार को क्या-क्या सिखाया और किस प्रकार महारंभ से निकाल कर अल्पारंम में लाये, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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