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________________ ३६६ ] [जवाहर-किरणावली - - .. -. मशीनगनें, तोप, बंदूक आदि किसलिए बने हैं ? 'मनुष्यों को मारने के लिए !' मनुष्यों ने मनुष्य को मारने के लिए जितने उपाय रचे हैं, उतने उपाय पशु को मारने के लिए नहीं रचे । मनुष्य को मनुष्य पर जितना द्वेष होता है और मनुष्य, मनुष्य को जितनी हानि पहुँचाता है, उतनी पशु को नहीं पहुँचाता और न पशु ही पशु या मनुष्य को पहुँचा सकता है। पशु मनुष्य को कदाचित् हानि पहुँचाता है तो अल्प ही पहुँचाता है। इसी कारण मनुष्यों पर विशेष रूप से दया करने की आवश्यकता है। जो मनुष्य पर दयावान् होगा उसे अन्य सत्ताह पाप भी छोड़ने होंगे। मनुष्य की दया करने वाले को सब से पहले झूठ का त्याग करना पड़ेगा; क्योंकि झूठ मनुष्य से ही बोला जाता जाता है, पशु से नहीं । झूठ कपट आदि पापों का सेवन मनुष्य, मनुष्य को ठगने के लिए ही करता है। ऐसा साहित्य तो मिल सकता है जिससे लाखों-करोड़ों मनुष्य भ्रष्ट हो गये हों, लेकिन क्या ऐसा भी कोई साहित्य मिल सकता है जिससे पशु भ्रष्ट हो गये हों ? 'नहीं!' तो जो ऐसा साहित्य नहीं रचता है और मनुष्यजाति के उत्थान के लिए साहित्य की रचना करता है वह क्या परमात्मा की सेवा नहीं करता ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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