________________
बीकानेर के व्याख्यान ]
[ ३४५
तो इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वन में जाने की क्या आवश्यकता थी ? अयोध्या में रहते हुए ही उसे परास्त करने की तैयारी वे कर सकते थे । अयोध्या में सेना सजाकर रावण पर चढ़ाई कर सकते थे और उसे जीत सकते थे। फिर ऐसा . न करके वन में जाकर नंगे पैर घूमने, वनफल खाने, सर्दीगर्मी और वर्षा का कष्ट सहने, महल छोड़कर झाड़ों के नीचे सोने और कुटिया में रहने की क्या आवश्यकता थी ? क्या राम को, जो राजकुमार थे और राज्य के उत्तराधिकारी थे, ऐसा करना शोभा देता है ? पर इसका रहस्य तो वही समझ सकता है जिसने शुद्ध चित्त से मनन किया हो। दुखी जीवन में किस प्रकार उत्थान भरा है, यह देखने के लिए राम का जीवन स्वच्छ दर्पण है। वे लोगों को त्याग की महिमा दिखलाना चाहते थे और अपनी जीवनी से ही बतलाना चाहते थे कि जो काम शस्त्रों से भी संभव नहीं है वह त्याग के प्रभाव से सहज ही हो सकता है । राम ने बड़ी खूबी के साथ यह दिखला दिया है।
राम की महिमा रावण को मारने से नहीं, त्याग के कारण है । वन-भ्रमण के कष्टों से उनका शरीर तो अवश्य दुबला हुआ होगा पर आत्मा तो उनका बलवान् ही हुआ । आत्मा को बलवान बनाने की यह सीधी चर्या सिखाने से ही राम खब के हृदयेश्वर हुए हैं। अगर राम ने शस्त्रों से ही काम लिया होता तो वे चाहे बड़े-राजा हो जाते पर आज जैसे सब के
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com