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[ जवाहर-किरणावली
रहती है। उसे उस अदृश्य सत्ता को पहिचानने का अवकाश नहीं मिलता। फिर वह ज्ञान में आवे कैसे ? अदृश्य शक्ति को जानने के लिए एक उदाहरण लीजिए
एक सेठ कलकत्ता में है और सेठानी घर पर है। सेठ कलकत्ता में धन कमाता है और सेठानी बीकानेर में, अपनी हवेली में बैठी रहती है। फिर भी सेठ की कमाई में सेठानी की शक्ति कुछ काम करती है या नहीं ! 'करती है!'
सेठानी कमाई के लिए कोई काम करती हो, यह नहीं देखा जाता और न सेठानी की शक्ति ही देखी जाती है, फिर कैसे मान लिया कि सेठानी की शक्ति कलकत्ते में भी अदृश्य रूप में काम करती है ?
आप यहाँ बैठे हैं। आपको मालूम नहीं कि मेरे घर खाने को क्या बना है। लेकिन आप भोजन करने बैठे और मेवे की खिचड़ी आपके सामने आई, जो आपको प्रिय लगी । अब आप विचार कीजिए कि आपकी शक्ति ने मेवे की खिचड़ी बनाने में कुछ भाग लिया है या नहीं?
'लिया है !'
इष्ट गंध, इष्ट रस और इष्ट स्पर्श आदि विषय पुण्य के प्रभाव से प्राप्त होते हैं। वह पुण्य क्या है ? आपका पुण्य आपकी ही शक्ति है, जिसके द्वारा नाना देशों में आपके लिए. नाना प्रकार के उपभोग के योग्य पदार्थ तैयार होते हैं । जिसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com