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बीकानेर के व्याख्यान
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उदयोग करना आवश्यक है। ___ मनुष्य के जीवन में कई बार ऐसे विकट संकटमय अवसर आ जाते हैं, जब उसकी बुद्धि थक जाती है। किसी प्रकार का निर्णय करना कठिन हो जाता है । एक ओर कुत्रा और दूसरी ओर खाई दिखाई देती है। ऐसे प्रसंग कर अपनी बुद्धि को ठिकाने रखना ही बुद्धिमत्ता है । 'परिच्छेदो हि पांडित्यम्' अर्थात् जो दो मार्गों में से एक मार्ग अपने लिए चुन लेता है; क्या कर्तव्य है और क्या अकर्तव्य है, यह निर्णय कर लेता है, वही वास्तव में पण्डित पुरुष है। जो विपत्ति के समय अपनी बुद्धि खो बैठेगा और कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य का निर्णय न कर सकेगा, वह विपत्ति को और अधिक बढ़ा लेगा और बुरी तरह चक्कर में पड़ जायगा। ___ यह बात केवल लोकव्यवहार के लिए ही नहीं है, वरन् धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष-सभी पुरुषार्थों के विषय में लागू होती है। 'संशयात्मा विनश्यति ।' संदेह में पड़े रहना और निर्णय न करना अपना नाश करना है। निर्णय किये विना सिद्धि प्राप्ति नहीं होती।
साहूकार के लड़के के सामने इस समय दो बातें उपस्थित थीं। एक तो जहाज को बचाने की और दूसरी अपने आपको बचाने की । जब जहाज का बचना संभव न रहा तो उसने विना किसी दुविधा के आत्मरक्षा करने का निर्णय कर लिया। उसने विचार किया-जब जहाज में रहने पर भी मैं मर जाऊँगा तो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com