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बीकानेर के व्याख्यान ]
इत्यादि बातें समझाने के लिए शांतिनाथ भगवान का जन्मचरित संक्षेप में बतला देना आवश्यक है । जिस प्रकार मर्योदय की उषा से सूर्य का संबंध है. उसी प्रकार भगवान् शांतिनाथ के उषाकाल से उनका संबंध है । अतएव उसे जान लेना आवश्यक है।
हस्तिनापुर में महाराज अश्वन और महारानी अचला का अखंड राज्य था। हस्तिनापुर नगर अधिकतर राजधानी रहा है। प्राचीन काल में उसकी बहुत प्रसिद्धि थी। ठाजकल हस्तिनापुर का स्थान देहली ने ले लिया है।
भगवान शांतिनाथ सर्वार्थसिद्ध विमान ले च्युत होकर महारानी अचला के गर्भ में आये । गर्भ में प्राते समय महारानी अचला ने जो दिव्य स्वप्न देखे, वे सब उस उषा काल की सूचना देने वाले थे । मानो स्वप्न में दिखाई देने वाले पदार्थों में कोई भी स्वार्थी नहीं है। हाथी, वृषभ, सिंह और पुष्पमाला कहते हैं कि आप हमें अपने में स्थान दीजिए । चन्द्रमा और सूर्य निवेदन कर रहे हैं कि हमारी शांति और लेज. हे प्रभो ! तेरे में ही है।
उग्गए विमले भार हे प्रभो ! हमारे प्रकाश से अंधकार नहीं मिटता है, अतएब आप ही प्रकाश कीजिए।
* हस्तिनापुर के परिचय के लिए देखिए, किरण १७. ( पांडवचरिक) ० ।
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