SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२] [ जवाहर - किरणावली मतलब यह है कि किसी भी जीव का हवन करने से शांति प्राप्त नहीं हो सकती । किसी भी प्राणी को दुःख न पहुँचाने से ही वास्तविक शांति प्राप्त हो सकती हैं ! आज तो जैनपरम्परा के अनुयायी भी नाना प्रकार से प्रारंभ समारंभ करते हैं और होम आदि करते हैं मगर उसमें वास्तविक शांति नहीं है । लोगों ने शांति प्राप्त करने के उपायों को गलत समझ लिया है और इसी कारण शांति प्राप्त करने के लिए यज्ञ, होम आदि करने पर भी सच्ची शांति प्राप्त नहीं होती । सच्ची शांति प्राणीमात्र की कल्याण साधना में हैं । किसी का कल्याण करने में शांति नहीं है । भगवान् शांतिनाथ के नाम पर जो शांति - दीपक जलाया जाना है, क्या उसमें अग्नि नहीं होती ! इस प्रकार अग्नि से लगाया हुआ दीपक शांतिदीपक नहीं है । शांतिदीपक वह है जिसमें ज्ञान से उजाला किया जाता हो । ऐसी श्रारति करो मन मेरा, जन्म मरण मिट जाय दुख तेरा । ज्ञानदीपक का कर उजियाला, शान्ति स्वरूप निहारो तुम्हारा || ऐसी. ।। मित्रो ! शांतिनाथ भगवान् की आराधना करने का अव-सर वार-वार नहीं मिलता। इसलिए शांतिनाथ भगवान् की आराधना करो। अग्नि से दीपक जलाकर 'शांति - शांति' भले करते रहे। पर इस उपाय से शांतिनाथ को नहीं पा सकते । ज्ञान का दीपक जलाकर उजेला करोगे तो शांतिनाथ भगवान् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034899
Book TitleJawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Maharaj
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year1949
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy