________________
१६४]
[जवाहर-किरणावली
अनाज़ निकालता है। आप किस विरते पर ऐसा अभिमान कर सकते हो ? पैसा कमा लेना अपनी कमाई का खाना नहीं कहलाता।
मित्रो ! मेरे कहने पर विचार करो। मैं प्रतिदिन कहता हूँ, इस कारण इस कथन के प्रति उपेक्षा मत करो। आपके जीवन का उत्कर्ष ऐसी बातों पर गहराई के साथ, एकान्त में । विचार करने से और अपने उन विचारों को अमल में लाने से ही होगा। निस्संदेह आप पुण्यशाली हैं । इसी कारण आपको बुद्धि मिली है । पुण्य से मिली बुद्धि को दूसरों को अपने फंदे में फँसाने के काम में मत लगाओ। बुद्धि के दो काम हैं । प्रथम यह कि किसी को न फंसाया जाय और दूसरा यह है कि फँसे हुए को निकाला जाय। अगर फँसाने वाला ही बुद्धिमान् समझा जाय तो मच्छीमार को सब से बड़ा बुद्धिमान् कहना पड़ेगा। दूसरे लोग कभी-कभी किसी को फँसाते हैं किन्तु मच्छीमार का प्रधान धन्धा ही मछलियों को फँसाना है। मच्छीमार ऐसी चतुराई से जाल बनाता है कि मकलियाँ उसमें फँस तो जाती हैं मगर निकल नहीं सकतीं। फिर भी शानपूर्वक विचार करने से प्रतीत होगा कि फँसाना कोई बुद्धिमत्ता नहीं है । फंसे हुए को निकालने में ही बुद्धिमत्ता है । इस तथ्य पर विचार करने से आप अपनी बुद्धि का सदुपयोग करना सीखेंगे। ___ आप जो खाते-पीते हैं, उसका कुछ तो बदला दीजिये।
माफल तो नहीं हाँका सकते, परन्तु समभात मकर संसार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com