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[ जवाहर-किरणावली
परिणाम होता है, इस बात को सरलता और स्पष्टता के साथ समझाने के उद्देश्य से एक दृष्टांत कहता हूँ____एक नामी सेठ था । खूब धनाढ्य था। उसके पाँच लड़के थे, लड़की एक भी नहीं थी । एक दिन सेट ने विचार किया'हम दूसरे के यहाँसे लड़की लाते तो हैं पर दूसरों को देते नहीं हैं । यह मेरे ऊपर ऋण है। इस प्रकार विचार करने के बाद सेठ के दिल में कन्या का पिता बनने की भावना उत्पन्न हुई ।
पुण्ययोग से सेठ की भावना पूर्ण हुई। उसके यहाँ एक लड़की जन्मी । सेठ का घर वैष्णव सम्प्रदाय का था। घर के सभी लोग विष्णु की भक्ति में तल्लीन रहते थे। वे अपने धनवैभव आदि को ठाकुरजी का प्रताप समझते थे। इसके अनुसार उन्होंने उस लड़की को भी ठाकुरजी का ही प्रताप समझा।
पाँच लड़कों के बाद गहरी भावना होने पर लड़की का जन्म हुआ था। इसलिए बड़े ही लाड़ प्यार के साथ लड़की का पालन-पोषण किया गया। लड़की का नाम नाम फूलां बाई रक्खा गया। इस बात बात का बहुन ध्यान रखा जाता था कि लड़की को किसी भी प्रकार का कष्ट न होने पाये। लड़की जब कुछ सयानी हो गई तब भी सेठजी उसे उसी प्रकार रखते थे। लड़की कभी कुछ अपराध या भूल करती तो भी सेठजी एक शब्द न कहते और न दूसरों को कहने देते। इसी प्रकार व्यवहार चालू रहा और लड़की बड़ी होमली।
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