SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६६) इसके बाद घर के प्रमुख महाशय को नीचे लिखा हुआ पद्य व मन्त्र पढ़कर शुभकामना करें और फूलमाला पहिराकर पुष्प क्षेपण करें। 3 पद्य । आरोग्य बुद्धि धन धान्य समृद्धि पावें । भय रोग शोक परिताप सुदूर जावें || सद्धर्म शास्त्र गुरु भक्ति शांति होवे । व्यापार लाभ कुल वृद्धि सुकीर्ति होवे ॥१॥ श्री वर्द्धमान भगवान सुबुद्धि देवें । सन्मान मत्यगुण संयम शील देवें ॥ नव वर्ष हो यह सदा सुख शांति दाई । कल्याण हो शुभ तथा अति लाभ होवे ॥ २ ॥ ओं ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्रः श्रर्हसिद्धाचार्योपाध्याय साधक शांति पुष्टिं च कुरु कुरु स्वाहा । (पश्चात् शांति विसर्जन करें । शांतिपाठ । शांतिनाथ मुख शशि उनहारी, शील गुण व्रत संयमधारी । लखन एकसी आठ विराजे, निरखत नयन कमल दल लाजै ॥ पंचम चक्रवर्ति पदधारी, सोलम तीर्थकर सुखकारी । इन्द्र नरेन्द्र पूज्य जिननायक नमो शांतिहित शांति विधायक ॥ दिव्य विटप पहुपनकी वरषा, दुंदुभि शासन बानी सरसा । । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034887
Book TitleJain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain
PublisherDhannalalji Ratanlal Kala
Publication Year1953
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy