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वीतराम सर्वज्ञ दोष बिन श्रीजिनकी वानी । सप्त तत्व का वर्णन जामैं, सबको सुखदानी ॥ इनका चितवन बार बार कर, श्रद्धा उर धरना । मंगत इसी जतनतै इक दिन, भवसागर तरना ॥
सामायिक की विधि |
अपने प्रतिदिन के जीवन को निरीक्षण करके उसमें सुधार करने, समताभाव प्राप्त करने और आत्मानुभूति के लिए सामायिक करना आवश्यक है । अपने दैनिक कार्यों का अवलोकन कर उनमें जो बुरे है उनको दूर करने का और जो अच्छे हैं उनमें प्रगति करने की प्रेरणा हमें सामायिक से मिलती है। राग, द्वेष मोह, ममता आदि दुर्भाव दूर होकर आत्मा की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। मैं कौन हू, कहां से आया हूँ और मेरा क्या उद्देश्य है इस पर विचार करने का मौका सामायिक द्वारा संभव है । अतः प्रति दिन प्रातः और सायं सामायिक अवश्य करना चाहिए । एकांत स्थान में शुद्ध वस्त्र पहनकर पद् मासन, अर्ध पद्मासन खड्गसन, या सुखासन में से सुविधानुसार किसी एक आसन से पाटे या चटाई पर निराकुल होकर सामायिक करने बैठे। प्रथम ही पूर्व या उत्तर दिशा में मुहकर दोनों हाथों को लम्बा कर दोनों पैरों के बीच में चार अंगुल का अन्तर रखकर सीधा खडा हो फिर नासाग्र दृष्टि हो ६ बार णमोकार मन्त्र पढ़े और अष्टांग नमस्कार कर सामायिक के काल की मर्यादा कर अपने पास के परिग्रह के सिवा शेष का त्याग, आने जाने का और राग द्वेष का त्याग करे । फिर उसी दिन में ६ बार एमोकार मन्त्र पढ़कर ३ आवर्त
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