________________
( ६ ) जहां पर कई मनोग्य और प्राचीन प्रतिमायें दर्शनीय हैं । यहीं पर एक कुंड है । माँगीतुंगी से उसी लारी में गजपंथाजी जावे ।
गजपंथाजी गजपंथापर्वत ४२० फीट ऊंचा छोटा-सा मनोहर है। श्री बलभद्रादि आठ करोड़ मुनिगण यहाँ से मोक्ष पधारे हैं। धर्मशाला की इमारत नई और सुन्दर है । बीच में मानस्थंभ सहित जिन मंदिर है । इस मानस्थंभ को महिलारत्न ७० कंकुबाईजी ने निर्माण कराया है । यहाँ से १॥ मील दूर गजपथ पर्वत है । नीचे बंजीबावा का एक सुन्दर मंदिर
और उदासीनाश्रम है । यहीं वाटिका में भट्टारक क्षेमेन्द्रकीर्तिजी की समाधि बनी हुई है। यहीं से पर्वत पर चढ़ने का मार्ग है, जिस पर थोड़ी दूर चलते ही सीड़ियां मिल जाती हैं । कुल ३२५ सीड़ियाँ हैं । पहलेही दो नये बने हुये मंदिर मिलते हैं, जो मनोरम हैं। एक मंदिर में श्री पार्श्वनाथजी की विशालकाय प्रतिमा दर्शनीय है । इन मंदिरों के बगल में दो प्राचीन गफा मदिर मिलते हैं । यह पहाड़ काट कर बनाये गये हैं । और इनमें १२ वीं से १६ वीं शताब्दि तक की प्रतिमायें और शिल्प दर्शनीय हैं; किन्तु जीर्णोद्धार के मिस से मंदिरों की प्राचीनता नष्ट करदी गई है । प्रतिमाओं पर भी लेप कर दिया गया है, जिससे उनके लेख भी छिप गये हैं यहाँ से चार मील नासिक
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com