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सामने मानस्थंभ भी है। विजयनगर के सम्राट् देवराय ने इस मन्दिरके दर्शन किये थे और दान दिया था। इसीके पास तालाब में एक 'जलमन्दिर' है, जिसके दर्शन करने के लिये छोटी-छोटी किश्तियों में बैठकर जाया जाता है। मंदिरके बीच में एक चौमुखी प्रतिमा अतिशयवान विराजमान है । संभव है कि इस क्षेत्र का मम्बन्ध नेमिनाथस्वामीके तीर्थ में जन्मे हुए.वरांग कुमार से हो । यहाँ वापस मूडबद्री होते हुये हासन स्टेशन से हुबली जाना चाहिये ।
इस प्रकार मद्रास प्रान्त प्रमुख तीर्थों के दर्शन होजाते है। परन्तु जो लोग इस प्रान्त के अन्य तीर्थों के भी दर्शन करना चाहें, उन्हें मद्रास में ही वैसी व्यवस्था कर लेनी चाहिये । सामान्यतः उनका परिचय निम्नप्रकार है।
अर्पाकम् (कांजीवरम्)
मद्रास से कांजीवरम् जब जावे तब अर्पाकम् क्षेत्र और कांचीनगर के भी दर्शन करे। अर्पाकम् कांजीवरम् स्टेशन से नौ मील दक्षिण में है। यहां पर एक प्राचीन छोटा-सा मंदिर अनठी कारीगरी का दर्शनीय है। जिसमें आदिनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान है। वापस कांजीवरम् जावे-वहाँ शहर में कोई मंदिर नहीं है, परन्तु तिरुपथीकुनरुम् में 'वेयावती नदी के किनारे दो दि० जैन मंदिर अनूठी कारीगरी के हैं । दर्शन करके तिण्डिवनम् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com