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दि० जैनमंदिर में ६ प्रतिमायें बड़ी मनोज्ञ हैं । धर्मशाला भी है । यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं । यहाँ से आरसीकेरी जाना चाहिये ।
आरसीकेरी
आरसीकेरी प्राचीन जैनकेन्द्र है । होयसल राजाओं के समय में यहाँ कई सुन्दर जिनमंदिर बने थे. जिन में से सहस्त्रकूट जिनालय टूटी फूटी हालत में है । उसमें संगतराशी का काम अि मनोहर है। जैनमंदिर में एक प्रतिमा धातुमयी गोम्मटस्वामी की महा मनोज्ञ प्रभायुक्त है । इस ओर जैनमंदिर को 'बसती' कहते हैं । यहाँ से श्रवणबेलगोल (जैनबद्री) के लिये मोटर-लारी जाती हैं । कोई २ यात्री हासन स्टेशन से जैनबद्री जाते हैं । लारी का किराया बराबर है । हम आरसीकेरी से गये थे ।
श्रवणबेलगोल (जैन बद्री)
श्रवणबेलगोल जैनियों का अतिप्राचीन और मनोहर तीर्थ है इसे उत्तर भारतवासी 'जैनबद्री' कहते हैं । यह 'जैनकाशी' और 'गोम्मटतीर्थ' नामों से भी प्रसिद्ध रहा है । यह अतिशय क्षेत्र रियासत मैसूर के हासन जिले में चन्द्ररायपट्टन नगर से है मील है । यहीं पर श्री बाहुबलि स्वामी की ५७ फीट ऊंची अद्वितीय विशालकाय प्रतिमा है; जिसके समान संसार में और कोई प्रतिमा नहीं है । विदेशों से भी यात्री उनके दर्शन करने
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