________________
(
४६
)
अवातिया कर्मों को नष्ट करके मोक्ष प्राप्त किया था उनका यह मन्दिर 'जलमन्दिर' कहलाता है और तालाबके बीच में खड़ा हुआ अति सुन्दर लगता है । इसमें भ० महावीर, गौतम स्वामी और सुधर्मस्वामी के चरण चिन्ह हैं । इसके अतिरिक्त ३-४ दि० मंदिर
और हैं । इन सबके दर्शन करके यहाँ से १३ मील दूर गुणावा तीर्थ जाना चाहिये।
गुणावा कहा जाता है कि गणावा वह पवित्र स्थान है जहाँ से इन्द्रभूति गौतमगणधर मुक्त हुये थे । यहाँ का मन्दिर भी तालाब के मध्य बना हुआ सुहावना लगता है। मंदिर में तीर्थङ्करों के चरण हैं यहाँ से शामील नवादा स्टेशन (E. I. B.) को जाना चाहिये, जहां से नाथनगर का टिकिट लेवे ।
नाथनगर
नाथनग
स्टेशन से प्राधा मील दूर धर्मशाला में ठहरे । यह प्राचीन चम्पापुरनगर है; जहाँ तीर्थङ्कर वासुपूज्य स्वामी के पांचोंकल्याणक हुये थे। यहीं प्रख्यात् हरिवंश की स्थापना हुई थी, यही नगर गंगा तटपर बसा हुआ था, जहाँ धर्मघोष मुनि ने समाधिमरण किया था। गंगा नदी के एक नाले पर जिसका नाम चम्पानाला है, एक प्राचीन जिनमन्दिर दर्शनीय है । नाथनगर के दो मन्दिर दि० जैनियों के हैं।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com