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( १४५ ) मन्दिर की दर्शनीय पत्थर की छतरी है एक ओर सबसे पुरानी संवत १९४३ से चालू जैन पाठशाला भवन है जिसमें चौथी कक्षा तक शिक्षा दी जाती है १५६ विद्यार्थी हैं । इतनो पुरानी शिक्षण संस्था होते हुए भी कोई खास उन्नति न हो यह दुःख की बात है। ____ मन्दिर के निचले भाग में सर्दी के मौसम में रात्रि को शास्त्र सभा हुआ करती है तथा मिथ्यात्व तिमिर नाशिनी दि० जैन सभा द्वारा स्थापित आराईश फंड का सामान तथा दि० जैन प्रेम सभा द्वारा स्थापित बर्तनों का संग्रह है जो बहुधा विवाह शादी के काम आता है।
श्रीमान् ला० हरसुखराय जी ने २६ विशाल मन्दिर ( कहा जाता है कि इससे भी कहीं ज्यादा मन्दिर बनवाये, परन्तु लेखक को कोई प्रमाण नहीं मिला) दिल्ली जयसिंहपुरा (न्यू देहली) पटपड़ शाहदरा देहली, हस्तिनागपुर, अलीगढ़, सोनागिर, सोनीपत, पानीपत, करनाल, जयपुर, सांगानेर आदि स्थानों में बनवाए और उन मन्दिरोंके खर्चके वास्ते भी यथेष्ट जायदाद प्रदान की।
आप शाही खजांची थे। आपको सरकारी सेवाओं के उप• अंग्रेजी जैन गजट अक्टूबर १९४५ • नकल बयान हस्तिनागपुर पृष्ठ ६-१२ मशमूला तारीख
जिला मेरठ सन् १८७१
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