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देहली के दिगम्बर जैन मन्दिर और संस्थायें
(लेखक-पन्नालाल जैन अप्रवाल देहली)
धर्मपुरा-(१) संवत् १८५७ में श्रीमान् ला० हरसुखरायजी (कुछ लेखकों के मतानुसार मोहनलालजी) ने धर्मपुरा देहली में नये मन्दिरजी की बुनियाद रक्खी, जो सात वर्ष में पांच लाख की लागत से बन कर तय्यार हुआ। कुछ लेखकों का ख्याल है कि वह आठ लाख रुपये की लागत का है। यह लागत उस समय की है जबकि राज चार आने और मजदूर दो आने रोज लेते थे। इस मन्दिर की प्रतिष्ठा मिति बैशाख शुक्ला ३ संवत १८६४ ( सन् १८०७ ) में हुई। मन्दिर की मूलनायक वेदी जयपुर के स्वच्छ मकराने संगमरमर की बनी है और उसमें सच्चे बहुमूल्य पाषाण की पञ्चीकारी का काम और बेलब टों का कटाव ऐसा बारीक और अनुपम है कि ताजमहल के काम को भी लजाता है। * आसारे सनादीद सन् १८४७ पृष्ठ ४७-४८ रहनुमाये देहली
सन् १८७४ पृष्ठ १६६, लिस्ट आफ दी मोहम्मडन एण्ड हिन्दू
मौन मन्टस्वल१ पृष्ठ १३२ ६ देहली दी इम्पीरियलसिटी पृष्ठ ३५, देहली डायरेक्टरी फौर
सन् १६१५ पृष्ठ १०३, पंजाब डिस्ट्रिक्ट गजेटीयर सन् १९१२ पृष्ठ ८ गजेटीयर आफ देहली डिस्ट्रिक्ट सन् १८८३-८४ पृष्ठ ७८-७E दिल्ली दिग्दर्शन पृष्ट ६, देहली इनटूडेज पृष्ठ ४३, बन्दर फुल देहली पृष्ठ ४३
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