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( १५५ ) के पास होना चाहिये । आधुनिक खोज से वैशाली का पता मुजफ्फरपुर जिले के बसाढ़ ग्राम में चला है । वहीं वसुकुण्ड प्राम भी है । अतएव वहाँ पर शोध करके भ० महावीर के जन्म स्थान का टीक पता लगाना आवश्यक है। भगवान ने वहीं निकट में तप धारण किया था, परन्तु उनका केवलज्ञान स्थान जन्मस्थान से दूर जम्भकग्राम और ऋजकूला नदी के किनारे पर विद्यमान था । आज उसका कहीं पता नहीं है । बंगाली विद्वान् स्व० नंदलालडे ने. सम्मेद शिख्रिर पर्वत से २५-३० मील की दूरी पर स्थित झरिया को जम्भक ग्राम सिद्ध किया है और बराकर नदी को ऋजुकूला नदी बताया है । झरिया के आसपास शोध कर के पुरातत्व की साक्षी के आधार से केवलज्ञान स्थान को निश्चित करना भी अत्यन्तावश्यक है। इसी प्रकार कलिङ्ग में कोटिशिला का पता लगाना आवश्यक है । तीर्थ यात्रा का यह महती कार्य होगा यदि इन भुलाये हुये तीर्थों का उद्धार हो सके।
सारांशतः तीर्थो और उनकी यात्रा में हमारा तन-मन-धन सदा निरत रहे यही भावना भाते रहना चाहिये ।
"भवि जीव हो संसार है, दुख-खार-जल-दरयाव । तुम पार उतरन को यही है, एक सुगम उपाव ।। गुरुभक्ति को मल्लाह करि, निज रूप सों लवलाव । जिन तीर्थको गुन वद गीता, यही मीता नाव ॥"
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