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प्रमाणभूत ऐतिहासिक सामग्रीओ एकठी करवा मांडी हती, पण ए अरसामा ‘जैन रौप्य महोत्सव अंक' मां डॉ. शाहनोज 'संप्रति महाराजना शिलालेखो किंवा पदच्युत सम्राट अशोक' नामनो लेख तेओए जोयो अने तेनोज प्रतिवाद प्रथम करवानुं एमने इष्ट जणातां आ लघु पुस्तक बहार पाड्यु. जो के डॉ. शाहना उपर्युक्त पुस्तकनी समालोचनानो ग्रन्थ प्रगट करवानो एमनो विचार छे ज. ___ डॉ. शाहे अशोकना प्रसिद्ध शिलालेखोने संप्रति महाराजाना ठराववा माटे जे खोटी अने भ्रामक दलीलो करी छे तेनुं आ पुस्तकमां वीगतवार निरसन करवामां आव्यु छे. जेओने ऐतिहासिक विवेचनोनो अभ्यास नथी तेवां सामान्य माणसो ऐतिहासिक रूपनो आभास आपती तथा ऐतिहासिक विद्वानोनां नामोथी छेतरती वातोमांथी सत्यासत्यनो विवेक करवा असमर्थ होय छे. तेमां पण पोताना धर्मने के स्वधर्मना प्रभावक महापुरुषने महत्त्व मळतुं जुए त्यारे ए महत्त्व साचुं मळे छे के खोटुं मळे छे ए जोवा जेटली सूक्ष्म दृष्टि वगरनां माणसो जरुर तणाइ जाय. आ स्थितिमा आचार्यश्रीतुं आ पुस्तक घणु उपकारक छे. एमां डॉ. शाहना विधानोर्नु पोकळपणुं बहु स्पष्ट रीते बताव्युं छे, अने साची ऐतिहासिक विचारणानी पद्धति पण रजू करी छे.
ढूंकामां, आ पुस्तक प्रगट थवाथी अज्ञान लोकोमा ऐतिहासिक भ्रमणा फेलाती अटकशे ए जोइने अमने हर्ष थाय छे.
आ पुस्तकना लेखक जैनधर्मना प्रसिद्ध आचार्य होवाथी एमना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com