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भास्कर
भाग
(७) शांतरक्षित नाम के बौद्ध नैयायिक ने अपने तत्वसंग्रह-कारिका नामक ग्रंथ में (749 A. D.) दिगंबर (जैन) के जीव-संबंधी सिद्धांत की आलोचना की है।
Ref. विद्याभूषण, इण्डियन लाजिक P. 125. (८) शक सं० ६९८ (776 A. D.) में पश्चिमी गंगवंशीय राजा श्रीपुरुष ने श्रीपुर के जैनमंदिर को जो दान दिया उस के प्लेट (पत्र) लिखे गये।
Ref. Guerinot no. 121. __ (९) ई. सन ७८४ में वत्सराज (Vatsaraja) प्रतिहार कन्नौज में हुआ। वि० सं० १०१३ के एक शिलालेख में लिखा है कि उसने ओसिआ (Osia) में एक जिन-मंदिर बनवाया। Ref. Arch. Surv. Ind. Annual Rep. 1906 -7, pp. 209, 42.
(१०) शक संवत् ७१९ (797 A. D.) में श्रोविजय ने, जो कि पश्चिमी गंग वंशीय मारसिंह का जागीरदार (feudatory) था, एक जैनमंदिर बनवाया।
Ref. Guerinot no. 122. 9TH CENTURY A. D. (११) शक संवत् ७३५ (812 A. D.) में गंगवंशीय राजा 'चाकिराज' की प्रार्थना (विज्ञप्ति पर राष्ट्रकूट वंशोद्भव द्वितीव प्रभूतवष, तृतीय गोविन्द ने एक गाँव विजयकीर्ति मुनि के शिष्य अर्ककीति को जिनेन्द्र मंदिर के लिये दिया। यह मुनि यापनीय नन्दिसंघ के पुन्नागवृक्षमूल गण के थे। दानपत्र का नाम (Kadaba, maisur plates) Ref. Ind. Ant. XII, P. 13.
___Epi. Ind. IV, P.340.
(प्राचीनलेखमाला प्रथम भाग, पृष्ठ ५१-५२) (१२) शक संवत् ७४३ में सूरत का दानपत्र लिखा गया, जिस में गुजरात के राष्ट्रकूटवंशी ककराज प्रथम ने कुछ भूमि का नागप्रिका nagaprika : (नवसारी Navsari) के जैनमंदिर को दान दिया है।
Ref. Bom. Gaz. I, I, (Hist. of Guz. J. P. 125) (१३) शक सं० ७८२ (860 A. D.) में कोन्नर (Konnur) का शिलालेख लिखा गया। जिस में राष्ट्रकूटवंशी महाराजाधिराज अमोघवर्ष प्रथम की तरफ से देवेन्द्र नाम के दिगंबर जैन को एक गाँव दान किया गया (apocryphal) Ref. Ep. Ind. VI, P. 29.
___Imperial Gazetteer of India, II. P.9f. (१४) घाटियाला जैन प्राकृत शिलालेख-समय वि० सं० ९१८ (861 A. Dपडिहार राजा कक्कुक ने एक जैनमंदिर बनवाया और उसे धनेश्वर गच्छ को दे दिया।
___Ref. Ramkarana, J. S. S.Rep. P. 1.
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