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________________ जैन श्रमण संघ का इतिहास मुनि श्री पन्नालालजी महाराज पंजाबी मानो आपका भग्य ही जाग उठा। उन दिनों उधर धर्म का सिंहनाद बजाने वाले शेरे जगल पूज्य श्री, . श्रीचन्दजी म० के मनोहर उपदेशों को सुनकर आपने वि० सं० १६६६ कार्तिक पूर्णिमा को मण्डी डबवाली (पंजाब) में संसार त्याग, मुनिवृत्ति ले आत्म-कल्याण करना प्रारम्भ कर दिया। लगभग ७ वर्ष तक एकान्तर तप, और कई-कई मास निरन्तर एकाशना तप करके आपने अपनी आत्मा को अत्यन्त ही पवित्र बनाया है। आप न सिर्फ आदर्श तपस्वी ही हैं बल्कि सरल शान्त एवं उदार सन्त हैं । स्वल्प भाषण, स्वल्प निद्रा, स्वल्पाहार भी आपकी खास विशेषताएं हैं। शास्त्रा. नुमोदित उग्र क्रिया और विशुद्ध संयमी जीवन देख देख कर जनता धन्य २ कर रही है। कविरत्न श्री चन्दन मुनिजी आप पूज्य श्री धर्मदासजी म० की परम्परा के तपस्वी महामुनि है। पूज्य धर्मदासजी म० की पाट परम्परा इस प्रकार है: पूज्य श्री धर्मदासजी म०, २ श्री जोगराजजी म०३ श्री हजारीमलजी म०४ श्री लालचन्द्रजी म० ५ श्री गंगारामजी म० ६ श्री जीवनरामजी महाराज ७ श्री भगतरामजी म. ८ श्री, श्रीचन्दजी म. तशिष्य स्वामी श्री जवाहरलालजी म०, तपस्वी विनयचंद जी म०, तपस्वी श्री पन्नालाल जी महाराज तथा तत्। शिष्य कविरत्न श्री चन्दनमुनिजी म०।। तपस्वी रत्न पूज्य श्री स्वामी पन्नालालजी म० साहब ने कसबा-ढाबां (बीकानेर) निवासी सेठ जीतमलजी की धर्म पत्नी श्रीमती तीजांबाई की पवित्र संसारी नाम चन्दनलाल । जन्म तिथि कार्तिक कुक्षी से लगभग सं० १६४८ वि० में शुभ जन्म लेकर कृष्णा मंगलवार १६७१ । जन्म स्थान 'तिओना' जिला ओसवालों के बोथरा वंश को चार चाँद लगा दिए। फिरोजपुर (पंजाब) । पिता श्रीमान् ला० रामामलजी युवावस्था के प्रारम्भ में आपको व्यापारार्थ भटिण्डा, माता श्रीमति लछमीबाई । जाति ओसवाल गोत्र बोथरा मण्डी डबवाली आदि में रहने का प्रसंग क्या मिला (शेष पृष्ठ १६८ पर)
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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