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जैन श्रमण संघ का इतिहास
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मुनि श्री शिव विजयजी पंजाबी
आप पूज्य आचार्य श्री मद् विजय वल्लभ सूरिजी के शिष्य हैं । आपका जन्म सं० १६३६ वैशाख सुदी १० को गुजरांवाला में हुआ। पिता का नाम लाला चुन्नीलालजी दूगड़ तथा मता का नाम अकिबाई है । संसारी नाम मोतीलाल दूगड़ था । सं० १६८२ फा० शु० ३ को बडौदा में आचार्य श्री के पास दीक्षित हुए ।
आप बड़े अच्छे कवि हैं । आपने कई स्तवन एवं ढालें रची हैं । वृद्धावस्था होते हुए भी उम्र विहारी रह कर धर्म प्रचार में लीन हैं ।
श्री पं० उदयविजयजी गणी
आप आचार्य श्री वि. उमंगसूरिजी के प्रधान शिष्य हैं। आपका जन्म वि० सं० १६६१ बैशाख शुक्ला १४ को हुआ । पिता का नाम मांगीलालजी बार भैया तथा माता का नाम समुबेन था । संसारी नाम शान्तिलाल । आपकी बालकाल से ही वैराग्यम मय वृति थी । संवत् १३८५ जेष्ठ वदी ८ को हरीपुरा के वासु पूज्य जी के मन्दिर में आ श्री उमंगसूरि के पास दीक्षा ग्रहण की । १६८६ में आ० श्री विजय वल्लभ सूरिजी की अध्यक्षता में योगोद्वहन किया। सं० १६६८ मिंगमर सुदी ६ को आप पालनपुर में गणो तथा पन्यास पद से विभूषित किये गये । कपड़ वंज में आप श्री द्वारा आचार्य श्री की अध्यक्षता में उपधान माला महोत्सव सानन्द सम्पन्न हुआ और भी कई धार्मिक कार्य आप श्री के शुभ हस्त से हुए व होते
रहते हैं ।
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