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________________ १४४ जैन श्रमण संघ का इतिहास DER PHDCP near Rollen The Count ng DO GRAND ll ll मुनि श्री शिव विजयजी पंजाबी आप पूज्य आचार्य श्री मद् विजय वल्लभ सूरिजी के शिष्य हैं । आपका जन्म सं० १६३६ वैशाख सुदी १० को गुजरांवाला में हुआ। पिता का नाम लाला चुन्नीलालजी दूगड़ तथा मता का नाम अकिबाई है । संसारी नाम मोतीलाल दूगड़ था । सं० १६८२ फा० शु० ३ को बडौदा में आचार्य श्री के पास दीक्षित हुए । आप बड़े अच्छे कवि हैं । आपने कई स्तवन एवं ढालें रची हैं । वृद्धावस्था होते हुए भी उम्र विहारी रह कर धर्म प्रचार में लीन हैं । श्री पं० उदयविजयजी गणी आप आचार्य श्री वि. उमंगसूरिजी के प्रधान शिष्य हैं। आपका जन्म वि० सं० १६६१ बैशाख शुक्ला १४ को हुआ । पिता का नाम मांगीलालजी बार भैया तथा माता का नाम समुबेन था । संसारी नाम शान्तिलाल । आपकी बालकाल से ही वैराग्यम मय वृति थी । संवत् १३८५ जेष्ठ वदी ८ को हरीपुरा के वासु पूज्य जी के मन्दिर में आ श्री उमंगसूरि के पास दीक्षा ग्रहण की । १६८६ में आ० श्री विजय वल्लभ सूरिजी की अध्यक्षता में योगोद्वहन किया। सं० १६६८ मिंगमर सुदी ६ को आप पालनपुर में गणो तथा पन्यास पद से विभूषित किये गये । कपड़ वंज में आप श्री द्वारा आचार्य श्री की अध्यक्षता में उपधान माला महोत्सव सानन्द सम्पन्न हुआ और भी कई धार्मिक कार्य आप श्री के शुभ हस्त से हुए व होते रहते हैं । com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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