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________________ जैन श्रमण संघ का इतिहास MusalIBIDINARISTIRTAISHORIHIND-THHIHID0NDISome ID-DIBITS-IIID-TRIANIHIDOINMAINALIPISOHUAINSPIRINDAINITIANDolm गुजरात के स्थानकवासी सम्प्रदाय दरियापुरी सम्प्रदाय नेणसी के शिष्य पू० खोडाजी स्वामी प्रभाविक संत यह पूज्य श्री धर्मसिंहजी म० की सम्प्रदाय है। हुए। जैन कवि पाखा के नाम से प्रसिद्ध है । वर्तमान मापके वे पटधर श्री प्रागजी ऋषि बड़े प्रभाविक पू. में पुरुपोत्तम जी म० पूज्य हैं । आप सौ० वी० श्रमण हुए हैं। आपके बाद पूज्य स्वामी, हीराचन्दजी संघ के प्रवर्तक मुनि हैं। रघुनाथजी, हाथीनी म० और उत्तम चन्दजी म० सायला सम्प्रदाय पाट पर विराजे । वर्तमान में इन्ही के शिष्य पूज्य श्री सं० १८७२ में पू० बालाजी के शिष्य नागजी ईश्वरलालजी म० हैं। आपकी आयु इस समय ८८ .. __ स्वामी ने इस संप्रदाय की स्थापना की। तपस्वी वर्ष है । महमदाबाद के शाहपुर उपाश्रय में स्थिरता मला. माजी मनि ___ मगनलालजी, कानजी मुनि आदि ४ संत विधमान हैं। बासी हैं। लिंबड़ी मोटी सम्प्रदाय बोटाद सम्प्रदाय पूज्य श्री धर्मदासजी म० के ६६ शिष्यों में से पू० धर्मदासजी म० के ५ वे पाट पर पूज्य ३५ ने नई समुदायें बनाई जिनके बाद में २२ विभाग जसराजजी म० हुए आपने अन्तिम समय बोटाद में बने उनमें से पूज्य श्री अजरामरजी म० का विहार स्थिर वास किया इसीसे यह बोटाद संप्रदाय कहलाई। क्षेत्र गुजरात रहा। आपके बाद देवराजजी, भाणजी पू० श्री शिवलालजी म० वर्तमान में पू० हैं। आप करमशी, अविचलजी, हरचन्दजी, देवजी, कानजी, नत्थुजी, दीपचन्दजी और लाधाजी स्वामी हुए। भा साराष्ट्र भी सौराष्ट्र वीर श्रमण संध के प्रवर्तक मुनि हैं। आप बडे प्रख्यात संत पवं साहित्यकार हुए हैं। कच्छ आठ कोटिपक्ष श्रापके बाद मेघराजजी और देवचन्दजी स्वामी पूज्य वि० सं० १६०८ में जामनगर में एकल पात्रिया, हुए । वर्तमान पूज्य कविवर नानचन्दजी म० आपही श्रापकों का जोर था ।मांडवी कच्छ में इनका व्यापार के शिष्य हैं । आप सौराष्ट्र वीर श्रमण संघ के मुख्य सम्बन्ध था अतः साधुओं का कच्छ में पदापर्ण प्रर्वतक मुनि हैं। हुआ। ये एकल पात्रिया साधु श्रावकों को आठ कोटि पूज्य देवचन्दजी के बाद लवजी व गुलाबचन्द । के त्याग से सामायिक पोषध कराते थे इसी पर से जी स्वामी हुए। शतावधानी पं० रत्नचन्दजी म० यह नाम हुश्रा । बाद में जाकर इसके दो भेद हुएआपही के शिष्य थे। आठकोटि मोटा पक्ष और पाठकोटि नानापक्ष । मुनि छोटेलालजी सदानम्दी पूज्य लाधाजी के मोटा पक्ष में पूज्य नागजी स्वामी के शिष्य पं. रत्नचंद प्रधान शिष्य है । आप अच्छे लेखक है। जी म. कच्छी वर्तमान है। लिंवड़ी छोटी (संघवी) सम्प्रदाय नानी पक्ष में पूज्य ब्रजपाल जी स्वामी प्रसिद्ध हुए। पूज्य श्री होमचन्दजी म. के समय से इसका वर्तमान में श्री लालजी स्वामी पूज्य हैं। प्रारंभ हुआ । वर्तमान में पू० श्रीकेशविलालजी म० हैं। खंभात सम्प्रदाय गोंडल सम्प्रदाय पूज्य श्री तिलोक ऋषिजी के शिष्य मंगलजी ऋषि पू० श्री ढुंगरशी स्वामी गोंडल मम्प्रदाय के के खंभात में अनेक शिष्य हुए इसी पर से यह नाम निर्माता हैं। धर्मदासजी म० के शिष्य प्रचाणजी म. पड़ा इस सम्प्रदाय में श्री चम्पक मुनिजी आदि २ के आप शिष्य थे। आपके शिष्य परम्परा में बड़े मुनि है। शेष सभी साध्वियां है। Shree Sudhammaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034877
Book TitleJain Shraman Sangh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain
PublisherJain Sahitya Mandir
Publication Year1959
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size133 MB
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