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________________ सूचीपत्र उदाहरणोंद्वारा इस बातको प्रमाणित किया है । अन्तमें एक ऐसी कथा दी गई है जिसे पढ़कर अत्यंत दरिद्र मनुष्यके हृदयमें भी धनवान बननेका साहस होता है; अपनी एक आने जितनी पूँजी लेकर भी वह कार्यक्षेत्र में आजानेकी हिम्मत करता है; वह रोजगार करके धनवान बन सकता है। स्त्रियाँ इसे पढ़कर घरके सारे वातावरणको ही बदल देती हैं । अपने घरको धनियोंका घर बना लेती है। दूसरा संस्करण । मू० दो आने मात्र । ४ राजपथका पथिक । (अ.-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा ।) दुनियामें रहते हुए और सांसारिक झंझटोमें फंसे हुए भी मनुष्य किस तरह अपने जीवनको आध्यात्मिक बना सकता है, किस तहर सुख और शान्तिसे जीवन बिता सकता है, सो इस पुस्तकमें सरलतासे समझाया है । मूल्य पाँच आने । ५ पुनरुत्थान । (लेखक-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा ।) आशा, विश्वास, त्याग, सेवा, पतितोद्धार और स्वाधीनताकी साक्षात् प्रतिमा इस कथाको पढ़कर सोता आत्मा जाग उठता है । खोई मनुष्यता मिल जाती है; हृदय पवित्र और स्वर्गीय भावोंसे परिपूरित हो जाता है । मूल्य चौदह आने । ६ अपूर्व आत्मत्याग । ( अनु०–श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा।)। प्रेम, पवित्रता, सतीत्व और त्याग ये स्त्रियोंके स्वाभाविक गुण हैं । आदर्श स्त्रियोंमें ये आदर्श रूपसे होते हैं । दुःख उन्हें विचलित नहीं कर सकते । अंधा प्रेम उन्हें पवित्रता और सतसे नहीं डिगा सकता । स्त्रियाँ जिससे प्रेम करती है उसके लिए अपना धन-माल सुख-वैभव सभी दे सकती है। इतना ही क्यों ? वे अपने प्राण तक दे सकती हैं, परन्तु अपना सत और अपनी पवित्रता नहीं दे सकती। ये ही बातें विमलाके चरित्रद्वारा इस पुस्तकमें भली प्रकार समझाई गई हैं । कथा इतनी मनोहर, करुण और उपदेशप्रद है कि अनेकोंने इसको पाँच पाँच Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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