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________________ ग्रंथ भंडार लेडी हार्डिंज रोड माटुंगा (बम्बई) ५ ८ जैनदर्शन __ अ०-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा इसके मूल लेखक हैं स्वर्गीय आचार्य श्रीविजयधर्म सूरिजीके शिष्यरत्न मुनि 'श्री न्यायविजयजी महाराज । इसको पढ़नेसे जैनदर्शनकी मोटी मोटी सभी बातें सरलतासे समझमें आ जाती हैं । विद्यार्थियोंको पढ़ाने, इनाममें देने और थोड़ेमें जैनदर्शनकी बातें समझनेके लिए यह ग्रंथ बहुत उपयोगी है । मूल्य बारह आने । ९ जैन तत्त्व प्रदीप प्रसिद्ध पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराजके विद्वान शिष्य मुनि श्री घासीलालजी महाराज द्वारा लिखित । इसमें देवस्वरूप, गुरुस्वरूप, धर्मस्वरूप, सम्यग्ज्ञान दर्शन और चारित्र स्वरूप, जीवस्वरूप, २४ दण्डक, २४ द्वार । इतनी बातें हैं । पहले मूल प्राकृत और फिर उसपर संस्कृत एवं हिन्दी कविता है । स्थानकवासी सम्प्रदायकी दृष्टिसे तत्त्वोंकी जानकारीके लिए यह ग्रंथ बहुत उपयोगी है । विद्यार्थियोंके लिए स्कूलों में पढ़ानेकी चीज है । मूल्य सादीके ॥) सजिल्दका १) १० जैन सतीरत्न (गुजराती) इसमें ब्राह्मी, सुंदरी, चंदनबाला, महासती सीता और सती दमयंतीके चारत्र हैं। अनेक सादे और रंगीन चित्रोंसे सुशोभित । मूल्य ११) सजिल्द १m) हमारे सर्वोपयोगी ग्रंथ १ गृहिणीगौरव । (अ०-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा।) इसमें नारी जीवनको गौरवान्वित करने वाली सात गल्में हैं। (१) गृणिहीगौरव-इसमें बताया गया है कि, पतिकी वीरता, पतिकी महत्ता और पतिके शौर्यमें ही स्त्रीका गौरव है । स्त्रीका गौरव इसमें नहीं है कि वह साहूकारकी या राजाकी पुत्री होनेसे अपने आपको बड़ी माने और पतिको तुच्छ दृष्टिसे देखे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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