SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 886
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनरल (प्रथमखंड) १ चौबीस तीर्थंकर चरित्र (भूमिका लेखक-आचार्यमहाराज श्रीविजयवल्लभ सूरिजीके प्रशिश्य मुनि श्रीचरणविजयजी महाराज ) लेखक-कृष्णलाल वर्मा कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचंद्राचार्य रचित त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र और दूसरे अनेक ग्रंथोंके आधारपर यह ग्रंथ लिखा गया है। इस ग्रंथकी भाषा बड़ी ही सुंदर और सरल है। बड़े टाइपमें छपाया गया है, जिससे कम पढ़े लिखे स्त्रीपुरुष भी आसानीसे पढ़ और समझ सकें। ऊपर सुनहरी अक्षरोंवाली कपड़ेकी बाइंडिंग । मूल्य ६) इसमें पूर्वाद्धमें २४ तीर्थंकरोंके चरित्र और उत्तरार्द्धमें करीब ४० वर्तमानके जैन सद्गृहस्थोंके परिचय हैं । पूर्वार्द्धमें करीब ६ सौ पेज है और उत्तरार्द्धमें करीब दो सौ । यह ग्रंथ जैनरत्नकी निम्नलिखित योजनाका प्रथमखंड है । जैनरत्न इस ग्रंथमें तीर्थंकर, चक्रवर्ती, वासुदेव, प्रतिवासुदेव, बलदेव, राजा, आचार्य, साधु, साध्वियां, श्रावक और श्राविकाएँ वगैराके चरित्र रहेंगे। ग्रंथ कई खंडोंमें प्रकाशित किया जायगा । हरेक खंडमें दो विभाग रहेंगे । एक पूर्वार्द्ध और दूसरा उत्तरार्द्ध । पूर्वार्द्धमें प्राचीन भूतकालके महापुरुषोंके चरित्र रहेंगे और उत्तरार्द्धमें वर्तमान सजनोंका परिचय रहेगा। प्राचीन कालके चरित्रोंमें त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रके पश्चात भगवान महावीरके बादका सभी सिलसिलेवार इतिहास रहेगा। । (१) भगवान महावीरके पहधर आचार्य । (२) वे सभी आचार्य या साधु जिन्होंने जैनधर्मकी जयपताका फहराई और अनेक जातियोंको जैनधर्मानुयायिनी बनाया । जैसे, भोसवाल, अग्रवाल, पोवाड, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy