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________________ www स्थानकवासी जैन सद्गृहस्थ ३३ सेठ हीरालालजी कोठारी इनके पिताका नाम उदयराजनी है। ये जातिके ओसवाल और । कोठारी गोत्रीय श्वेतांवर साधुमार्गी जैन हैं। ये दौलतपुरा (जोधपुर) के निवासी हैं । वहीं सं० १९५६ की भादवा वदि अमावसको इनका जन्म हुआ था । वहाँसे ये अपने पिता राजमलनीके साथ कामठी (नागपुर) आये । यहाँ इनके काका उदयराजजीने इन्हें गोद ले लिया । यहीं इनकी तालीम हुई । साधारण इंग्लिशका ज्ञान है और हिन्दीके लेखक हैं। समय समय पर अनेक पत्रोंमें इनके लेख निकलते रहते हैं। जिनका विषय मुख्यतया समाजोन्नति रहता ह। __इनके दो ब्याह हुए हैं। पहला ब्याह सं० १९७२ की वैशाख सुदि ३ को चीखली ( यवतमाल ) निवासी श्रीराजमलजी लूनावतकी पुत्रीसे हुआ था । इनसे दो पुत्र जेठमल और हेमचंद्र हैं। सं० १९८५ में प्रथम पत्नीका देहांत हो गया। सं० १९८६ की माह सुदि ९ को वरोरा ( चांदा ) निवासी श्रीयुत पोमचंद्रनी सीपाणाकी पुत्री सूरजकुँवरके साथ इनका दूसरा ब्याह हुआ । इनके कुटुंबमें इस समय भार्या व पुत्रोंके अलावा मातापिता, काका काकी और दो भाई हैं। समाज सुधारके कार्योंमें ये बहुत भाग लेते हैं। इन्होंने. कुछ बरस पहले ' मध्यप्रांत ओसवाल सभा' नामक एक संस्था अपने कुछ उत्साही मित्रांके सहयोगसे आरंभ की थी। उसके बाद बराड Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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