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________________ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन १४९ wwmmmmmm. आप श्वेतांबर धर्मका पालन करती हैं। धर्ममें इनकी अच्छी श्रद्धा है। धार्मिक अध्ययन भी इनने ठीक किया है। आप व्याख्यान भी सुंदर देती हैं । आपका स्वभाव मिलनसार, स्नेहपूर्ण स्वतंत्र, सरल एवं स्पष्ट है । सुगृहिणियोंका अतिथि–सत्कार गुण आपमें पूर्णरूपसे है। श्रीयुत ईश्वरलालजी सोगानी कुदरत अनेक बार हरेक कौमको ऐसे कर्मवीर पुरुष प्रदान करती है, जिनसे उस कौमका गौरव होता है। श्रीयुत ईश्वरलालनी भी ऐसे ही व्यक्तियोंमेंसे एक हैं। इनका जन्म सं० १९४२ में श्रीयुत मनसुखलालजीके घर हुआ था। ये जातिसे खंडेलवाल और धर्मसे दिगंबर जैन हैं । स्थिति साधारण थी, इसलिए केवल दस बरसकी आयु तक तालीम पाकर काममें लग गये । इनका पहला ब्याह इनकी सोलह बरसकी आयुमें हुआ था । इनकी पहली पत्नीका देहान्त हो जानेपर इन्होंने श्रीमती लक्ष्मीदेवीके साथ दूसरा ब्याह सं० १९६७ में किया। शहरमें स्त्रीशिक्षाका उस समय प्रचार होने लग रहा था। अर्जुनलालजी सेठी और उनकी स्थापन की हुई जैनशिक्षाप्रचारक समितिने शहरमें शिक्षाप्रचारके लिए बड़ी हलचल मचा रखी थी। प्रत्येक नवयुवकको अपनी पत्नियोंको पढ़ानेका शौक था। ये खुद भी इस शिक्षाका प्रचार करनेवालोंमें एक खास व्यक्ति थे। इसलिए इन्होंने भी अपनी पत्नीको सुशिक्षिता, आदर्श गृहिणी बनानेके खयालसे बंबईके प्रसिद्ध श्राविकाश्रममें भेज दिया। परन्तु लक्ष्मीदेवी वहाँ बीमार हो गई और उन्हें वापिस बुला लेना पड़ा । फिर इन्होंने लक्ष्मीShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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