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________________ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन ११७ प्रिविअस पास करके ये गोकलदास तेजपाल बोर्डिंगमें जाकर रहे । वहीं रहकर इन्होंने बी. ए. पास किया। बी. ए. पास करनेके बाद इन्होंने माधवजी कामदार एण्ड छोटुभाई सोलिसिटर्स के यहाँ ३०) रु. मासिकमें नौकरी कर ली। वहाँ नौकरी करते हुए ही इन्होंने LL. B. का अभ्यास किया और साढे तीन बरसके बाद ये एलएल. बी. पास हुए। ये सन् १९०२ में मेट्रिक, सन् १९०६ में ग्रेजुएट और सन १९१० के जुलाई में एलएल. बी. हुए। सन् १९१० के सेप्टेम्बरमें, इन्होंने विकालतकी सनद लेनेके लिए-इनके पास रुपये नहीं थे इसलिए-सेठ हेमचन अमरचंद्रसे कर्जके तौरपर रुपये लिए। उदार सेठने इनको बगैर ब्याजके रुपये दिये । और रुपये देकर कभी तकाजा नहीं किया। मोहनलालभाईने अपने आप ही अपनी सुविधानुसार रुपये भर दिये। ___इनके दो व्याह हुए हैं। पहला ब्याह सन् १९११ के फरवरीमें श्रीयुत अभयचंद कालीदासकी कन्या श्रीमती मणिबहनसे हुआ था। उनसे दो सन्तान हुई । लाभलक्ष्मी नामकी कन्या और नटवरलाल नामका लड़का । __ मणिबहनका देहांत हो गया तब दूसरा व्याह सन १९२० के दिसंबरमें, श्रीमती प्रभावती वहनके साथ हुआ था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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