SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 775
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध) ५ सन्मतितर्ककासम्पादन ( पं० बेचरदासजीके साथ ) ये गहरे विचारक और प्रत्येक वस्तुको नवीन दृष्टिसे देखनेवाले हैं। दिग्गज विद्वान होते हुए भी निरभिमानी हैं । स्वभाव सरल है और दूसरेको मदद करने लिए हर समय हर तरहसे तैयार रहते हैं। श्रीयुत मोहनलाल दलीचंद देसाई ___B. A. LL. B. श्रीयुत मोहनलाल भाईकी माताका नाम उनमबाई और पिताका नाम दलीचंद था। ये जातिसे दशा श्रीमाली और धर्मसे श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन हैं । इनका जन्म सन् १८८५ के अप्रेल महीनेमें, बांकानेर ( काठियावाड ) रियासतके लणसर गाँवमें हुआ था। अभी ये बंबईमें रहते हैं और विकालत करते हैं। ___ इनके पिता गरीब आदमी थे। वे अपने पुत्रकी पढाईका इंतजाम नहीं कर सकते थे। इसलिए बालक मोहनलालको उसके मामा श्रीयुत प्राणजीवन मुरारजी साह अपने यहाँ ले गये । उस समय उनकी उम्र ५ बरसकी थी। प्रिविअस पास हुए तब तक ये अपने मामाके पास ही रहे थे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy