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बेरिस्टर मकनजी जूठाभाई महेता
साहस, अध्यवसाय और उत्साहसे मनुष्य, हरेक तरहकी कठिन परिस्थितिमें भी, उन्नतिके शिखरपर पहुँच सकता है । इस' बातको सत्य प्रमाणित करनेके लिए अगर किसी उदाहरणकी जरूरत होतो मकनजी जूठामाईका उदाहरण दिया जा सकता है।
इनका जन्म माँगरोलके एक दशाश्रीमाली श्वेतांबर मूर्ति-- पूनक जैन कुटुंबमें सं० १९३७ के मगसर सुदि ७ के दिन हुआ था । चार बरसकी छोटी उम्रमें इनकी माताका देहांत हुआ
और ये मेट्रिक हुए । इसके पहले ही इनके पिता मी (इन्हें इनके माईको सौंप ) स्वर्गवासी हो गये।
सन् १८९८ में ये मेट्रिक हुए। उस समय इनके पास
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