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________________ जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध ) nnnnnnn ~ ~ - ___ दुसरे लग्न नलियाके खिमराज रतनसीकी लड़की प्रेमाबाई के साथ हुए । उनके दो लड़के और दो लड़कियाँ हुई। लड़कों के नाम गोविंदनी और लखमीचंद हैं। लड़कियाँ देवकुँवर और रतन हैं। ____सं० १९५८ में पदमसी सेठ बंबई आये । ये आंक हिसाब और गुजरातीकी एक किताब पढ़े थे । सं० १९६१ में ये नेणसी देवसीकी कंपनीमें इनके भाई हीरजीकी जगह भागीदार हुए । इन्होंने सं० १९७६में मर्चेट्स स्टीमर नेविगेशन (प्राइवेट) कंपनीकी स्थापना की । इसमें इन्होंने अच्छी कमाई की। सं० १९७६ में पचास हजार रुपये खर्च कर बँगला बाँधा। सं० १९७४ में पिताका और सं. १९७९ में माताका देहावसान हुआ। ___ इनके पिता व्यवहारकुशल और धर्मपरायण थे। माता मद्रिक स्वभावकी थी। ___ इनके गांवमें इनकी खेतीबाड़ी है। उसकी आमदनी वहीं धर्मा देमें खर्च देते हैं। कच्छ नलिया शिवनीमाईका स्थापन किया हुआ एक जैनबालाश्रम है । उसमें ये अपने प्राइवेट खर्च से तीन सौ रुपये सालाना देते हैं। कच्छमें जब जब दुष्काल पड़े थे तमी तब इन्होंने अच्छी मदद की थी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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