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सर वसनजी विकमजी नाइट
सर वसनजीके पितामह सेठ मूलनी देवजी सुथरी (कच्छ) में रहते थे । जातिके दसा ओसवाल और मूर्तिपूजक श्वेतांबर जैन थे । सेठ मूलनी सं० १८९० में बंबई आये थे । और सेठ नरसी केशवजी नायककी पेढीमें, अपनी होशियारीके कारण, मागीदार हुए । लक्ष्मी प्रसन्न हुई और धनी बने ।
सं० १९२२ के जेठ महीनेमें मूळजी सेठके पुत्र त्रिकमजीके घर पुत्रका जन्न हुआ । उसका नाम वसननी रक्खा गया। यही बालक वसननी प्रसिद्ध सर वसनजी हुए।
वसनजीके जन्मके छः ही दिन बाद उनकी माता लाखबाईका देहांत हो गया। माताका देहान्त हो गया; परन्तु
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