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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन नामकी एक कन्या और पुन्सीमाई नामका एक पुत्र । इन बच्चोंकी आयु जिस वक्त क्रमशः छः तीन और एक बरसकी हुई हीरजीमाईका देहांत हो गया । बालक अपनी माता तेजबाईकी गोदमें मुँह छिपाकर रोते रह गये । पिताका साया उठ गया।
लखमसीमाईका जन्म ता. २६ जुलाई सन् १८७५ को बंबई में हुआ था। इनके पिता इन्हें लेकर देशमें चले गये। पिताका देहांत होजानेपर इनकी माता तेजबाई इनको शिक्षित बनाने के इरादेसे बंबई में लेआई और इन्हें 'धी रिपन इंग्लिश स्कूलमें दाखिल कराया। वहाँसे ये सेंट झेविअर हाइस्कूलमें दाखिल हुए। अच्छे नंबरोंमें मेटिककी परीक्षा पास की। इससे इन्हें राओश्री प्रागमलनी फर्ट स्कॉरशिप और मणिमाई जममाई प्राइज मिलें।
ये बड़े निर्भय ये। जब स्कूलमें पढ़ते थे तबकी मत है। सेंट झेविअर स्कूल घोचीतलाक पर था । वहाँसे मांडवीपर आते जाते उड़कोंको मवाली हैरान करते थे। एक बार इन्हें भी छेड़ दिया। इन्होंने और मास्तर लक्ष्मीचंद तेजपालने उनकी ऐसी खबर ली कि, फिर इन्होंने कमी उनका नाम न लिया।
ये जब विद्यार्थी अवस्या थे तब भी बड़े उदार थे। और अपने साथीको सहायता देनेके लिए हर समय तैयार रहते थे। श्रीयुत वेदजी आनंदनो मैशेरी बी. ए एल एल बी. ने लिखा है:-" मेरे पिता गरीब थे। इसलिए मेरे अभ्यासमें विघ्न आता
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