SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-रत्न चौसठ इन्द्रोंके नाम नीचे दिये जाते हैं । . (वैमानिक देवोंके इन्द्र १०) १-सौधर्भेन्द्र-(इसके आनेका वर्णन ऊपर दिया है।) २-ईशानेन्द्र, अपने अठासी लाख विमानवासी देवताओं सहित 'पुष्पक' विमानमें बैठकर आता है। ३-सनत्कुमार इन्द्र, बारह लाख विमानवासी देवताओं सहित 'सुमन' विमानमें बैठकर आता है। ४-महेन्द्र इन्द्र, आठ लाख विमानवासी देवताओं सहित 'श्रीवत्स ' विमानमें बैठकर आता है। ५-ब्रह्मेन्द्र इन्द्र, चार लाख विमानवासी देवताओं सहित 'नंद्यावर्त : विमानमें बैठकर आता है। ६-लांतक इन्द्र, पचास हजार विमानवासी देवताओं सहित 'कामगव' विमानमें बैठकर आता है। ७-शुक्र इन्द्र, चालीस हजार विमानवासी देवताओं सहित 'पीतिगम । विमानमें बैठकर आता है। ८-'सहस्रार' इन्द्र, छः हजार विमानवासी देवताओं सहित 'मनोरम' विमानमें बैठकर आता है। ९-'आनत प्राणत' देवलोकका इन्द्र, चार सौ विमानवासी देवताओं सहित 'विमल ' विमानमें बैठकर आता है। १०-आरणाच्युत देवलोकका इन्द्र, तीन सौ विमानवासी देवताओं सहित 'सर्वतोभद्र' नामके विमानमें बैठकर आता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy