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________________ ४४८ जैन-रत्न १ विमलनाथजी १३ अनंतनाथजी १४ | धर्मनाथजी १५ | शांतिनाथजी १६. पुष्य हरिण १४ राजा २ वैशाख सुदि १२ श्रावण वदि ७ वैशाख सुदि ७ भादवा वदि ७ ३ सहस्रार देवलोक प्राणत देवलोक विजय विमान सर्वार्थ सिद्धि ४ कंपिलपुरी अयोध्या रत्नपुरी गजपुर५/महासुदि ३ वैशाख वदि १३ महा सुदि ३ जेठ वदि १३ ६ कृतवर्म सिंहसेन भानु विश्वसेन ७श्यामा सुयशा सुव्रता अचिरा ८ उत्तराभाद्रपद रेवती भरणी ९मीन मीन मेष १० वराह ( सूअर) सिचाणा (बाज) वज्र ११६० धनुष ५० धनुष ४५ धनुष ४० धनुष १२/६० लाख बरस तीस लाख बरस |१० लाख बरस १ लाख वर्ष १३ स्वर्णसा स्वर्णसा स्वर्णसा स्वर्णसा राजा राजा चक्रवर्ती १५विवाहित विवाहित विवाहित विवाहित(६४ह.स्त्रि.) १६१ हजार १ हजार १ हजार १ हजार १७कंपिलपुर अयोध्या रत्नपुरी १८ दो उपवास दो उपवास दो उपवास दो उपवास १९क्षीर क्षीर २० जयराजाके घर विजय राजाके घर धनसिंहके घर सुमित्रके घर २१दो दिन दो दिन दो दिन २ दिन २२ महासुदि ४ वैशाख वदि १४ महासुदि १३ जेठ वदि १४ २३२ मास ३ वर्ष २ वर्ष एक बरस २४ कंपिलपुरी अयोध्या रत्नपुरी गजपुर २५/दो उपवास दो उपवास दो उपवास दो उपवास २६ जंबू वृक्ष अशोक वृक्ष दधिपर्ण वृक्ष नंदी वृक्ष २७पोस सुदि ६ वैशाख वदि १४ पोस मुदि १५ पोस सुदि १ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com गजपुर क्षीर
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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