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________________ ४४२ जैन-रत्न १ श्री ऋषभदेवजी १ श्री अजितनाथजी २ श्री संभवनाथजी ३ श्री अभिनंदनजी ४ जितशत्रु २ आषाढ़ वदि४ वैशाख सुदि १३ फाल्गुन सुदि ८ वैशाख सुदि । ३ सर्वार्थ सिद्धि विजय विमान ऊपरके ग्रैवेयक जयंत विमान ४विनीता नगरी अयोध्या श्रावस्ती अयोध्या ५ चैत्र वदि ८ महा सुदि ८ महा सुदि १४ माघ सुदि २ ६ नाभिकुलकर जितारि संबर राजा ७/मरुदेवी विजया सेना सिद्धार्था ८ उत्तराषाढा रोहिणी मृगशिर पुनर्वसु ९धन वृष मिथुन मिथुन १० वृषभ (बैल) हस्ति ( हाथी) अश्व ( घोड़ा) बंदर ११५०० धनुष ४५० धनुष ४ सौ धनुष ३५० धनुष १२/८४ लाख पूर्व ५२ लाख पूर्व |६० लाख पूर्व ५० लाख पूर्व १३ स्वर्णसा स्वर्णसा स्वर्णसा स्वर्णसा १४ राजा राजा राजा राजा १५/विवाहित विवाहित विवाहित विवाहित १६/४००० के साथ १ हजारके साथ १ हजारके साथ १ हजारके साथ १७विनीता नगरी अयोध्या श्रावस्ती अयोध्या १८दो उपवास २ उपवास २ उपवास २ उपवास १९ गन्ने का रस परमान (क्षीर ) परमान (क्षीर) क्षीर २० श्रेयांस राजाके घर ब्रह्मदत्तके घर सुरेन्द्रदत्तके घर इन्द्रदत्तके घर २१एक वर्ष बाद २ दिन बाद दो दिनके बाद २ दिन २२ चैत्र वदि ८ महा वदि ९ मगसर मुदि १५ माघ मदि ११ २३/१ हजार बरस १२ वर्ष |१४ वर्ष १८ वर्ष २४ पुरिमताल अयोध्या श्रावस्ती अयोध्या २५/तीन उपवास २ उपवास २ उपवास २ उपवास २६ वट वृक्ष सालवृक्ष प्रियाल वृक्ष प्रियंगुवृक्ष २७/फाल्गुन वदि ११ पोस पदि ११ कार्तिक बदि ५ पोस यदि १४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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