________________
२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
४२९.
amannaxww
" फिर इक्कीस हजार बरस वाला एकांत दुःखमा नामका
छठा आरा शुरू होगा। वह भी छठा आरा इक्कीस हजार बरस तक रहेगा।
उसमें धर्म-तत्त्व नष्ट होनेसे चारों तरफ हाहाकार मच जायगा । पशुओंकी तरह मनुष्योंमें भी माता
और पुत्रकी व्यवस्था नहीं रहेगी । रात दित सख्त हवा चलती रहेगी । बहुत धूल उड़ती रहेगी। दिशाएँ धूएँके जैसी होनेसे भयानक लगेंगी। चंद्रमामें अत्यंत शीतलता और सूरजमें अत्यंत तेज धूप होगी। इससे बहुत ज्यादा सर्दी और बहुत ज्यादा गरमीके कारण लोग अत्यंत दुःखी होंगे। __ " उस समय विरस बने हुए मेघ खारे, खट्टे विषेले विषाग्निवाले और वज्रमय होकर, उसी रूपमें वृष्टि करेंगे। इससे लोगोंमें खाँसी, श्वास, शूल, कोढ़, जलोदर, बुखार, सिरदर्द और ऐसे ही दूसरे अनेक रोग फैल जायेंगे। जलचर, स्थलचर, और खेचर तिर्यंच भी महान दुःखमें रहेंगे। खेत, बन, बाग, बेल, वृक्ष और घासका नाश हो जायगा । वैताढ्य और ऋषभकूट पर्वत एवं गंगा और सिंधु नदियाँ रहेंगे दूसरे सभी पहाड़, खड्डे और नदियाँ समतल हो जायेंगे। भूमि कहीं अंगारोंके समान दहकती, कहीं बहुत घूलवाली और कहीं बहुत कीचडवाली होगी। मनुष्योंके शरीर एक हाथ प्रमाण वाले और खराब रंगवाले होंगे । स्त्रीपुरुष कटु भाषी, रोगी, क्रोधी, चपटी नाकवाले, निर्लज्ज और वस्त्रहीन होंगे । उत्कृष्ट आयु पुरुषोंकी बीस बरसकी और औरतोंकी सोलह
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com