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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ३९९ www.rrrrrrr लोगोंके दिलकी बात कहता है । मुझसे तेजोलेश्याकी साधना सीख, उसे साधा है और अव मिथ्यात्वी हो तेजोलेश्यासे अपने विरोधियोंका दमन करता है।" समवशरणमें ये प्रश्नोत्तर हुए थे । इससे शहरके लोगोंने भी ये बातें सुनी थीं । लोग चर्चा करने लगे, महावीरस्वामी कहते हैं कि गोशालक जिन नहीं है । वह तो मंखका बेटा है। गोशालकने ये बातें सुनी । वह बड़ा गुस्से हुआ । वह जब अपने स्थानमें बैठा हुआ था तब उसने महावीर स्वामीके शिष्य आनंद मुनिको, जाते देख, बुलाया और तिरस्कार पूर्वक कहा:-" हे आनंद ! तू जाकर अपने धर्मगुरुसे कहना कि वे मेरी निंदा करते हैं इस लिए मैं उनको परिवार सहित जलाकर राख कर दूंगा।" ___ आनंद बहुत डरे । उन्होंने जाकर महावीरसे सारी बातें कहीं और पूछा:--" हे भगवन् ! गोशालक क्या ऐसा करनेकी शक्ति रखता है ?" ... ___ महावीर स्वामी बोले:-" हे आनंद ! गोशालकने तप करके तेजोलेश्या प्राप्त की है । इसलिए वह ऐसा कर सकता है । तीर्थकरको वह नहीं जला सकता। हाँ तकलीफ उनको भी पहुँचा सकता है।" थोड़ी ही देरमें आजीविक संघके साथ गोशालक वहाँ आ गया। और क्रोधके साथ बोला:-" हे आयुष्यमान काश्यप! तुम मुझे मंखलीपुत्र गोशालक और अपना शिष्य बताते हो यह ठीक नहीं है । मंखलीपुत्र गोशालक तो मरकर स्वर्गमें गया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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