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________________ २४ श्री महावीर स्वामी-चरित ३९५ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~~ ~ ~ ~ ~~ ~~ चंडप्रद्योतके हृदयमेंसे प्रभुके प्रभावके कारण कुवासना और देष दोनों नष्ट हो गये । उसने उदयनको कोशांबीका राजा बनानेकी प्रतिज्ञा कर मृगावतीको दीक्षा लेनेकी आज्ञा दी। कटवा दिया कि, यह फिर कभी ऐसे सुंदर चित्र दूसरी जगह न बना सके। चित्रकार बड़ा दुखी हुआ; नाराज हुआ । उसने यक्षकी. फिर आराधना की। यक्षने प्रसन्न होकर वर दिया,-"जा तू बायें हाथसे भी ऐसे ही सुंदर चित्र बना सकेगा । " चित्रकारने शतानीकसे वैर लेना स्थिर किया और मृगावतीका एक सुन्दर चित्र बनाया। फिर वह चित्र लेकर उज्जैन गया। उस समय उज्जैनमें चंडप्रद्योत नामका राजा राज्य करता था । वह बड़ा ही लंपट था। चित्रकारके पास मृगावतीका चित्र देखकर वह पागलसा हो गया । उसने तुरत शतानीकके पास दूत भेजा और कहलाया कि, तुम्हारी रानी मृगावती मुझे सौंप दो, नहीं तो लड़नेको तैयार हो जाओ। ___ स्त्रीको सौंपनेकी बात कौन सह सकता है १ शतानीकने चंडप्रद्योतके दूतको, अपमानित करके निकाल दिया । चंडप्रद्योत फौज लेकर कोशांची पहुंचा; मगर शतानीक तो इसके पहले ही अतिसारकी बीमारी होनेसे मर गया था। __ चंडप्रद्योतको आया जान मृगावती बड़ी चिन्तामें पड़ी। उसे अपना सतीधर्म पालनेकी चिंता थी, अपने छोटी उम्रके पुत्र उदयनकी रक्षा कर नेकी चिन्ता थी। बहुत विचारके बाद उसने चंडप्रद्योतको छलना स्थिरकिया और उसके पास एक दूत भेजा । दूतने राजाको जाकर कहाः" महारानीने कहलाया है कि, मैं निश्चिंत होकर उज्जैन आ सकूँ इसके पहले मेरे पुत्र उदयनको सुरक्षित कर जाना जरूरी समझती हूँ । इस लिए अगर आप कोशांबीके चारों तरफ पक्की दीवार बनवा दें तो मैं निश्चिंत होकर आपके साथ उज्जैन चल सकूँ।" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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